एक दिन उसने ठान
लिया कि चाहे कुछ भी हो जाये वह आज की यह दौड़ पूरी जरूर करेगा । अब दौड़ शुरू हुई ।
उसने खुद को बोला, की वह कैसे भी करके आज दौड़ को पूरी जरूर करेगा
। वह जिद करके वापस उठा और लड़खड़ाते हुए आगे बढ़ने लगा और अंततः वह रेस पूरी
कर गया ।
माना कि वह रेस
हार चुका था, लेकिन आज उसका विश्वास
चरम पर था क्योंकि आज से पहले सुदर्शन कभी भी दौड़ को पूरा ही नही कर पाया था ।
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